Process of Making bricks in Chimney: चिमनी में ईटा बनाने और पकने की प्रक्रिया

Process of Making bricks in Chimney: नमस्कार दोस्तों अगर आप ईटा बनाने वाले फैक्ट्री में काम करने की सोच रहे हैं तब आपको ईटा बनने या बनाने की प्रक्रिया के बारे में पता होना चाहिए। आपको बता दे कि शहरों में ईटा सीमेंट के मशीनों द्वारा ढा़ले जाते हैं लेकिन ग्रामीण और छोटे शहरों में खास तरह की मिट्टी से बने ईंटों का इस्तेमाल किया जाता है। जो अक्सर चिमनी में पकने के बाद लाल कलर का दिखता है।

अगर आप ईटा बनाने वाली फैक्ट्री में काम करना चाहते हैं और आप चाहते हैं कि आप उस काम को एक्सपोर्ट की तरह अच्छे से करें तो यह आर्टिकल आपके लिए है क्योंकि आज की इस आर्टिकल में हम आपको ईटा बनाने और फाइनल तैयार होने तक की पूरी प्रक्रिया बताएंगे। इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िए।

Process of Making bricks

पहले हम जानते हैं कि ईटा बनाने की प्रक्रिया क्या है। आपको बता दे की ईटा बनाने के लिए एक खास तरह की मिट्टी जो सामान्य मिट्टी से थोड़ा अलग होता है उसमें एक केमिकल मिलाया जाता है जिससे मिट्टी के बीच चिपकन अधिक हो या यूं कहे की ईट काफी ठोस बने, यह सभी प्रक्रिया एक मशीन के द्वारा किया जाता है। हालांकि पहले यह प्रक्रिया लोगों द्वारा किया जाता था जो काफी कठिन और अधिक समय लेता था।

जब मिट्टी को केमिकल के साथ मिल लिया जाता है तब उसे बाहर निकाल दिया जाता है और उन लोगों के पास मिट्टी के छोटे-छोटे गोल भेज दिए जाते हैं जो फार्मा के माध्यम से ईंट का आकार देते हैं। ईटा का आकार देने के लिए लकड़ी का पहले से ही फार्मा बनाया होता है। जिसमें उस मिट्टी के गोले से छोटे से मिट्टी के  टुकड़े को काटकर उस फर्मा में अच्छे से सेट किया जाता है।

फर्म में मिट्टी डालने से पहले फर्म को मिट्टी बालू से धोया जाता है ताकि मिट्टी फर्मा में चीपके नहीं। जब मिट्टी फर्म में अच्छे से सेट हो जाता है तो उसे बाहर निकाल दिया जाता है जो कच्ची ईट होती है। अब इन ईटों को थोड़ा मजबूत करने के लिए तीन से चार घंटे धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद इन सभी कच्ची ईंटों को एक जगह इकट्ठा किया जाता है।

ईंटों पर कंपनियों का नाम कैसे आता है?

अपने कई बार देखा होगा कि गांव में बनने वाले ईंटो पर कंपनियों का नाम लिखा होता है। आपको बता दे की कंपनियां अपना नाम ईंटा पर लिखने के लिए जो फॉर्मा तैयार करती उसके निचले हिस्से पर अपने कंपनी का नाम लकड़ी को काटकर ही डिजाइन करवाती है। इससे जब भी मिट्टी को फर्म में डाला जाता है तो ईटा में कंपनी का नाम छप जाता है।

चिमनी में ईटा बनाने और पकने की प्रक्रिया

जब ईटा को धूप में सुखाकर इकट्ठा कर लिया जाता है तब आगे की प्रक्रिया उन ईटों को चिमनी में पकाने का होता है। दरअसल चिमनी एक लंबा और शंकु अकार का गुंबद होता है जिसके नीचे कई रास्ते होते हैं उनमें कच्ची ईंटों को डालने के लिए बनाया गया होता है। सबसे पहले चिमनी में कोयले की मदद से आग जलाई जाती है और उसके ऊपर सभी कच्ची ईंटों को डाल दिया जाता है। और चिमनी के सभी रास्ते को अच्छे से बंद कर दिया जाता है ताकि ईट अच्छे से पके।

24 घंटे बाद उन ईटों को तीन हिस्सों में अलग-अलग किया जाता है। अब सो रहे होंगे कि आखिर एक ही चिमनी में तीन तरह के ईटा कैसे पैक होंगे। देखिए सबसे नीचे जो आग के पास ईटा होते हैं वह काफी पक्के होते हैं और जले होते हैं और कई ईटा तो एक दूसरे से चिपक जाते हैं जिसका इस्तेमाल घरों में नहीं किया जाता है। इसके बाद जो दूसरे सतह पर ईंटा होता है उसे एक नंबर का ईटा यानी कि अच्छे प्रकार का एट माना जाता है। जिसका इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले घरों में किया जाता है।

इसके बाद तीसरी सात में के इंटर को दो नंबर यानि की सबसे लो क्वालिटी का एट माना जाता है जिसका इस्तेमाल घरों के दीवाल जहां 10 इंची की होती है उसमें किया जाता है। अब आप एट बनाने और चिमनियों में पकाने की सफाई प्रक्रिया अच्छे से जान चुके हैं अब चाहे तो किसी भी एट बनाने वाली कंपनी में जा सकते हैं। अगर आप बिजनेस खोलना चाहते हैं तो इस Small Business Idia को पढ़ सकते हैं।

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